इस्लाम सलामती, इंसाफ और दयानतदारी का मजहब है: मौलाना इमाम हैदर
इस्लाम सलामती, इंसाफ और दयानतदारी का मजहब है: मौलाना इमाम हैदर
बलुआघाट में आयोजित मजलिस में शामिल हुए अज़ादार
जौनपुर। बलुआघाट स्थित मेंहदी वाली जमीन पर आयोजित मजलिस-ए-तरहीम में कनाडा से आए मौलाना सैयद इमाम हैदर ज़ैदी ने इस्लाम के असल मूल्यों पर रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि कर्बला में इमाम हुसैन की कुर्बानी की बदौलत इस्लाम आज भी दुनिया में कायम है। यह जंग मोहम्मद (स.अ.) और उनके नवासे के दुश्मनों के बीच थी, जहां दुश्मन मिट गए और आज कोई उनका नाम तक नहीं लेता, जबकि मोहम्मद और उनकी आल का नाम आज भी जीवित है। उन्होंने कहा कि यह अल्लाह का वादा था, जिसे कुरआन में भी जगह दी गई है।
मौलाना ने इस बात पर जोर दिया कि इस्लाम सिर्फ सलामती, इंसाफ और दयानतदारी का मजहब है, और इसकी जड़ें पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) और उनके घरवालों से जुड़ी हैं। इमाम हुसैन की कुर्बानी इस बात का सबसे बड़ा सबूत है कि यह घराना अल्लाह के सबसे करीब है। हदीसे किसा का हवाला देते हुए मौलाना ने कहा कि जनाबे फातिमा की वजह से ही मोहम्मद से लेकर हुसैन तक की पहचान हुई, और यह दुनिया भी उनके सदके में बनाई गई। उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स.अ.) की हदीस में कहा गया है कि जिसने फातिमा को राजी किया, उसने मोहम्मद को और फिर अल्लाह को राजी किया। यही वजह है कि इस घराने को अल्लाह ने इतनी ताकत दी है कि उनकी दुआ और बात फौरन कुबूल होती है।
कार्यक्रम का आयोजन मरहूमा हसन बांदी और मरहूम सैयद इकबाल कमर शहज़ादे की याद में किया गया था। मौलाना ने बताया कि कर्बला की जंग इस घराने पर हुए जुल्म का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।
मजलिस की शुरुआत मेंहदी जैदी और उनके साथियों ने सोजख्वानी से की। इसके बाद शोहरत जौनपुरी, वसी करंजवी, शहंशाह व हेलाल जौनपुरी ने बारगाह-ए-अहलेबैत में अपने कलाम पेश किए। अंजुमन शमशीरे हैदरी के नौहेखा शहज़ादे ने दर्द भरे नौहे पेश किए, जिनसे उपस्थित अज़ादार भावुक हो गए।
इस मौके पर इमाम-ए-जुमा मौलाना महफूजुल हसन खां, मौलाना मनाज़िर हसनैन खान, मौलाना फज़ले मुमताज़ खां, मौलाना अली अब्बास, मौलाना मेराज खान, डॉ. कमर अब्बास, मौलाना मुबाशिर ,नजमुल हसन नजमी ,वकार हुसैन, ज्ञान कुमार, कैलाशनाथ सिंह,राजेश श्रीवास्तव ,शाहिद मेहदी, नेहाल हैदर मोहम्मद रशीद सहित कई प्रमुख लोग उपस्थित थे। संचालन बेलाल हसनैन ने किया।
कार्यक्रम के आयोजक सैयद हसनैन कमर 'दीपू', सैयद अफ़रोज़ क़मर, और डॉ. रज़ा बेग कब्बन ने आए हुए लोगों का आभार व्यक्त किया।
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