देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर बाजारों में रौनक
देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर बाजारों में रौनक
जिले भर में देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह के पावन पर्व को लेकर बाजारों में विशेष रौनक देखी जा रही है। मंगलवार, 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसे लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। श्रद्धालु इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करते हुए देवों को योग निद्रा से जगाते हैं। इस एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों की भी शुरुआत हो जाती है, जिससे बाजारों में कपड़े, आभूषण, और पूजन सामग्री की जोरदार खरीदारी देखी जा रही है।
बाजारों में गन्ना, कंदा और सिंघाड़ा जैसी परंपरागत चीजों की भी खूब बिक्री हो रही है। कोतवाली चौराहा, सब्जी मण्डी, ओलन्दगंज, और लाइन बाजार जैसे प्रमुख बाजारों में दुकानदारों ने अपनी दुकानों को रंग-बिरंगी लाइटों और सजावटी सामग्रियों से सजाया है। ग्राहक अपने घरों की सजावट और पूजन के लिए जमकर खरीदारी कर रहे हैं, जिससे बाजारों में भारी भीड़ उमड़ रही है।
देवउठनी एकादशी का धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म के मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं। इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और यही दिन विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और इसे सभी एकादशियों में सबसे पवित्र माना जाता है।
तुलसी विवाह का आयोजन
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी विशेष रूप से होता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और देवी तुलसी का विवाह संपन्न किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन तुलसी की पूजा करने और उनका विवाह कराने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
इस बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को संध्याकाल 6 बजकर 47 मिनट से आरंभ होकर 12 नवंबर को संध्या 4 बजकर 3 मिनट तक रहेगी, इसलिए देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस अवसर पर शहर के मंदिरों और घरों में विशेष पूजन और अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा।
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