जौनपुर में आदि-गंगा ‘गोमती नदी’ के अस्तित्व को खतरा, नदी में गंदगी का अम्बार

जौनपुर में आदि-गंगा ‘गोमती नदी’ के अस्तित्व को खतरा, नदी में गंदगी का अम्बार

आदि-गंगा कही जाने वाली गोमती नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। यहां गंदगी का अंबार लगा है। नदी किनारे घाट तो बन गये हैं, लेकिन गोमती की सफाई अबतक नहीं हो पायी है। पूर्वाचल की जीवन रेखा कही जाने वाली गोमती नदी आज तेजी से सूख रही है। कहीं पानी ने नदी का घाट छोड़ दिया है तो कहीं बीच तलहटी में रेत के लंबे-चौड़े टीले उभर आए हैं। पानी की जगह कचडा भर गए अगर इसे देखना है जौनपुर के विसर्जन घाट पर आना पड़ेगा जहां से आप इसका सुंदर दृश्य देख सकते है।

गोमती नदी के अस्तित्व पर मंडराते खतरे को दूर करने के लिए भागीरथी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

सरकार नदियों की सफाई के लिए कई योजनाएं चलाती रहती है और इसके लिए प्रतिबद्धता भी जताती रही है। लेकिन जौनपुर में गोमती नदी की सफाई का बुरा हाल है। यहां गंदगी का अंबार लगा हुआ है। आदि-गंगा कही जाने वाली गोमती नदी के अस्तित्व पर अब खतरा मंडराने लगा है। यहां घाट तो बन गये हैं। लेकिन नदी की सफाई अभी तक नहीं हो सकी है।

सूत्रों की माने तो केंद्र सरकार नदियों की सफाई के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चला रही है।जिसमें गंगा और उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। लेकिन यह धारातल पर देखने को किशी को नही मिल रहा है। जगह जगह गोमती नदी में नाले गिरती देखी जा सकती है। प्रदूषण अतिक्रमण और जलस्त्रोत सूखने से धीरे-धीरे गोमती नदी का दायरा सिमटने लगा है। नदी का पानी घाटों को पहले ही छोड़ चुके गोमती नदी के जल का मुख्य स्त्रोत भूजल है, जो तेजी से नीचे जा रहा जिससे नदी सूखने लगी है।

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