विजयदशमी पर राजा जौनपुर के दरबार में हुआ शस्त्र पूजन, दरबारियों ने चुकाया लगान | Indian 24 Circle News
विजयदशमी पर राजा जौनपुर के दरबार में हुआ शस्त्र पूजन, दरबारियों ने चुकाया लगान
राजा अवनींन्द्र दत्त शस्त्रों की पूजा करते हुवें |
जौनपुर। विजयदशमी के पावन अवसर पर शनिवार को हवेली राजा जौनपुर में पारंपरिक शस्त्र पूजन का आयोजन हुआ। जौनपुर के 12वें नरेश राजा अवनींद्र दत्त ने विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शस्त्रों का पूजन किया। इस मौके पर जिले के प्रमुख गणमान्य लोग मौजूद रहे। शस्त्र पूजन की इस परंपरा की शुरुआत 1778 में राजा शिवलाल दत्त ने की थी, और तब से लेकर आज तक यह परंपरा जारी है। इस वर्ष शस्त्र पूजन का यह 246वां आयोजन था।
शस्त्र पूजन के बाद राजा के दरबार में उपस्थित दरबारियों ने लगान भेंट किया। दरबार के दौरान राजा के सामने जिले के व्यापारी, ठिकानेदार, राज वैद्य, हकीम और अन्य प्रतिष्ठित लोग पारंपरिक लिवास में उपस्थित हुए, जिससे दरबार की शान और बढ़ गई। राजा जौनपुर के हाथों दशहरे पर पोखरा स्थल पर रावण दहन भी किया गया, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए थे। रावण दहन के बाद शमी पूजन कर राजा वापस हवेली लौटे।
शस्त्र पूजन की ऐतिहासिक परंपरा
जौनपुर रियासत के राज डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अखिलेश्वर शुक्ला ने बताया कि जौनपुर के प्रथम राजा शिवलाल दत्त ने 1798 में विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजन और दरबार लगाने की परंपरा शुरू की थी। तब से यह परंपरा हर वर्ष इसी विधि से निभाई जाती रही है। राजा शिवलाल दत्त के बाद, दूसरे राजा बाल दत्त की धर्मपत्नी रानी तिलक कुंवर ने 1848 में पोखरा पर विशाल मेले की शुरुआत की, जो आज भी विजयदशमी पर लगता है।
रामलीला की ऐतिहासिक शुरुआत
1845 में महारानी तिलक कुंवर ने रामलीला की शुरुआत की, जो रामनगर की रामलीला की तर्ज पर होती थी। इसका समापन राजा बाजार से होकर राजा साहब के पोखरा पर राम-रावण युद्ध के बाद रावण दहन और फिर राजतिलक के साथ होता था। वर्तमान में भी इस परंपरा को पंडितजी द्वारा निभाया जा रहा है।
आजकल जिले के कई घरानों और संगठनों द्वारा शस्त्र पूजन किया जाता है, लेकिन जौनपुर रियासत के हवेली स्थित दरबार हाल में होने वाला शस्त्र पूजन अब भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है, जिसमें राज पुरोहित और पांच अन्य पंडितों की उपस्थिति में यह अनुष्ठान संपन्न होता है।
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