ऑपरेशन यमराज: झोलाछाप के अति गंभीर मरीज की जान डा अशोक यादव सरकारी चिकित्सक ने बचाई
ऑपरेशन यमराज: झोलाछाप के अति गंभीर मरीज की जान डा अशोक यादव सरकारी चिकित्सक ने बचाई
जौनपुर की बानगी यूपी के हर जिले के लिए बन रही है मानकl सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश पर एलर्ट होने लगा है प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा, लेकिन निजी अस्पतालों के कुछ बड़े जगलर बनाए हैं संतुलन।
डॉ अशोक यादव,अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय |
जौनपुर (तहलका विशेष) उत्तर प्रदेश में आम जन- जीवन के स्वास्थ्य की 'पटरी से उतरी गाड़ी' को पुनः पटरी पर लाने में बड़े नौकरशाहों को नाकों चने चबाने पड़ेंगे। 'झोलाछाप डॉक्टरों' के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई वाले मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ का आदेश अमल में लाने में जहाँ नौकरशाही के पसीने छूट रहे हैं वहीं सरकारी महकमों में हर कदम पर जड़ जमा चुके झोलाछाप के नेटवर्क से जुड़े लोग भी पैतरा बदलने लगे हैं। उपचार और नकली दवाओं के इस गोलमाल वाले चक्रव्यूह में फंसा मरीज 'पानी से निकली मछली' सरीखे तड़फड़ा रहा है।
जौनपुर जिले के मदियाहूँ तहसील क्षेत्र के एक गाँव निवासी 94 वर्षीय बुजुर्ग की कहानी झोलाछाप डॉक्टरों के नेटवर्क के चंगुल में फंसी जान की जहाँ उनके यमराज होने की गवाही दे रहा है, वहीं बाद में सचेत हुए परिजनों के चलते राजकीय चिकित्सालय के प्रख्यात फिजिशियन डॉ अशोक यादव द्वारा उस बुजुर्ग को जीवन देना यह साबित करता है कि धरती पर 'चिकित्सक रूपी भगवान्' हैं, जरूरत है उनके पास पहुँचने की।
यह वाकया है तो एक माह पूर्व का लेकिन इसकी कहानी रोंगटे खड़े करने वाली है, इससे आमजन को यह सीख भी मिलती है कि जिस तरह लोग भोजन और कपड़े के प्रति सचेत रहते हैं, उसी प्रकार स्वास्थ्य के नजरिये से भी गंभीर हों। आपात काल में प्राथमिक उपचार के बाद झोलाछाप से पीछा छुड़ाकर खुद तय करें कि हमें अपने मरीज को कहाँ ले जाना है, यदि कुछ न समझ आये तो सरकारी अस्पतालों में पहुंचें। झोलाछाप किसी भी मरीज को 'उस जेबकतरे की तरह निजी अस्पतालों को कमीशन के चक्कर में बेचीनामा करते हैं जैसे जेबकतरे ट्रेन के अपने शिकार को दूसरे के क्षेत्र की सीमा में जाने पर बेचते हैंl' हालांकि जब से आनलाइन ट्रांजेक्शन की व्यवस्था हुई है तब वह सब साइबर ठगी ज्वाइन कर लिए हैं, लेकिन झोलाछाप का धंधा चोखा चल रहा है।
दरअसल उस बुजुर्ग को झोलाछाप डॉक्टर ने जौनपुर के जिस जगलर के यहां भेजा था उसे यह बताया था कि मरीज की 'पल्सरेट' नहीं मिल रही है। इसको ' कार्डियक अरेस्ट' है। प्रयागराज- गोरखपुर फोरलेन पर शहर के वाजिदपुर में स्थापित इस यमराज की दुकान के संचालक डॉक्टर और उसका स्टाफ भी झोलाछाप की ही भाषा बोलते मिले। रात 11 बजे मरीज को आईसीयू में भर्ती के लिए एक घंटे का चार्ज एक दिन का आठ हजार वसूला। 12 बजे रात से दूसरे दिन के आठ हजार का मीटर दौड़ने लगा। मरीज को था लीवर इंफेक्शन और दवा चलाई हार्ट की, ऊपर से इंसुलिन देकर उन्हें कोमा के रास्ते पर डाल दिया। परिजनों ने दूसरे दिन सुबह 6 बजे से डिस्चार्य कराने की जिद शुरू की तो दोपहर एक बजे के बाद 34 हजार भुगतान कर जान छुड़ाई
इसी की तरह हृदय रोग की विशेषज्ञता वाली डिग्री न होने पर भी कई निजी चिकित्सक बिंदास इलाज में लगे हैं और कुछ तो राज्य सरकार से पुरस्कार पाने की तैयारी में लगे हैं।
शतक की उम्र यानी 94 वर्षीय इस मरीज को जब जिला अस्पताल ले जाया गया तो फीजिशियन डॉ अशोक यादव ने कुछ अस्पताल की दवा और 530 रुपये की बाहरी दवा के जरिये मरीज की जान बचा ली। अब वह बुजुर्ग अपने खेत- खलिहान में घूम रहे हैं।
जौनपुर में नकली दवाओं की आपूर्ति वाराणसी की थोक मण्डी से नईगंज की मंडी में होती है। इस नेटवर्क पर विस्तार अगली कड़ियों में मिलेगा। इसी तरह जिले के 'एम्स' मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती में हो रही लाखों की वसूली में योग्य हो रहे दरकिनार और अयोग्य सलेक्ट किए जा रहे हैं ल इस खेल का खुलासा भी अगले एपिशोड में होगा।
Comments